A Secret Weapon For baglamukhi sadhna
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कल्प- द्रुमाधो हेम-शिलां प्रविलसच्चित्तोल्लसत्-कान्तिम् ।
प्रेतस्थां बगला-मुखीं भगवतीं कारुण्य-रूपां भजे ।।
तां खेचरां स्मेर-वदनां, भस्मालङ्कार-भूषिताम् । विश्व-व्यापक-तोयान्ते, पीत-पद्मोपरि-स्थिताम् ।।
* श्रीविश्व-सारोद्धार तन्त्र’ में वर्णित उक्त ‘श्रीबगला-मुखी-विश्व-विजय-कवच’ के
वज्रारि-रसना-पाश-मुद्गरं दधतीं करैः । महा-व्याघ्रासनां देवीं, सर्व-देव-नमस्कृताम् ।।३
श्री अक्षोभ्य ऋषि द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
श्रृणु देवि! प्रवक्ष्यामि, कवचं परमाद्भुतम् । यस्य स्मरण-मात्रेण, रिपो: स्तम्भो भवेत् क्षणात् ।।२
अन्त में भगवती बगला का मानसिक पूजन करना चाहिए। यथा-
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि ‘स्वतन्त्र तन्त्र’ में उल्लिखित कथा और ‘कृष्ण यजुर्वेद’ के दोनों मन्त्रों में कथित श्रीबगला-तत्त्व अभिन्न हैं।
‘साधक’ की ‘दाहिनी भुजा’ तथा ‘पत्नी’ की ‘बॉई भुजा’ में धारण करने से ‘साधक’ को सर्वत्र
गदाऽभिघातेन च दक्षिणेन, पीताम्बराढ्यां द्वि-भुजां नमामि ।।२
ऋषि श्रीअत्रि द्वारा website उपासिता श्रीबगला-मुखी